सच्चा हमसफर ऐसा होना चाहिए जिसे अपनी पत्नी के आगे कुछ दिखे ही ना। कम से कम वो अपनी पत्नी का ध्यान तो रखे और उसे खुश करने के लिए बहार भी ले जाए। उसके साथ घूमे फिरे प्यारी प्यारी बाते करे।
लड़कियों की तो ऐसी इच्छा ही रह जाती है की जैसा पति वो चाहती है उन्हे वेसा पति नही मिलता है। बहुत लड़किया अपने पतियों मे कमिया निकालती ही रह जाती है।
लेकिन उनके पति जैसा वह चाहती है वैसा बिलकुल भी नहीं करते हैं। कुछ लड़के तो अपनी पत्नी को सिर्फ काम करने वाली समझते हैं। जिसे जब चाहे कुछ भी काम दे दो और उसकी बातों का ध्यान ही नहीं रखते हैं।
किशन अपनी पत्नी को कभी थैंक्स भी नही बोलता है। उसे एहसास भी नही होता है की उसकी पत्नी सारा दिन घर मे इतना काम करती है। फिर भी वो उसकी पसंद नापसंद का ध्यान नही रखता है।
किशन की पत्नी रुचि उसे हमेशा शिकायत ही करती रहती है, कि आप तो मुझे कहीं बाहर भी नहीं ले जाते हैं। हमारे मोहल्ले की लड़कियां अपने पति के साथ कहां-कहां घूमने जाती है, लेकिन आपको तो मेरा कोई ख्याल ही नहीं है।
रुचि सिर्फ बोलते ही रह जाती है। किशन तो उसकी बात पर ध्यान भी नहीं देता है उसे इग्नोर कर देता है।
रुचि बहुत मन से किशन के लिए चाय बनाती है। और किशन जल्दी से एक घुट में उस चाय को पी जाता है। रुचि सोचती है कि वह उसकी तारीफ करेगा लेकिन किशन रुचि से कुछ भी नहीं कहता है और हड़बड़ी में घर से निकल जाता है।
किशन घर से बाहर जा रहा था तो अब रुचि उससे लड़ाई भी नहीं कर सकती थी। बड़े कहते हैं ना की बाहर जाते समय किसी से लड़ना नहीं चाहिए, और रोकना टोकना नही चाइये, तो रुचि भी किशन से उस वक्त लड नहीं सकती थी।
रुचि हमेशा यही सोचती थी की किशन इतना अजीब क्यों है। और लड़को की तरह क्यों नहीं है। इसकी तो होठो पर मुस्कुराहट देखने को भी तरसती हू। इसे तो हसी भी नही आती है। ये और पतियों की तरह क्यों नही है, वो तो कभी मेरी तारीफ भी नहीं करता है।
अब रुचि अपने पति किशन की तुलना अपने पडोस मे रहने वाली सुषमा के पति से करती है, की वो तो सुषमा को जहा वो कहती है वही ले जाता है, जैसे वो कहती है वेसे ही करता है। खास किशन भी ऐसा होता कम से कम मेरी पसंद का तो ख्याल रखता।
यह सोच सोच कर रुचि को बहुत गुस्सा आ रहा था। और वह सोच रही थी कि आज तो किशन से लड़ाई ही करनी पड़ेगी। अब जब रात को किशन घर वापस आता है, तो रुचि उससे अच्छे से बात नहीं करती है, और उसे खाने के लिए भी नहीं पूछती है। और अपने कमरे में चली जाती है।
किशन उसकी नाराजगी की तरफ ध्यान ही नहीं देता है, और खुद ही खाना डालकर खा लेता है। रुचि को लगता है कि वह उसे बुलायेगा लेकिन उसने खुद हीं खाना डालकर खा लिया था। रुचि तो सोचती ही रह गई की कैसे इंसान से उसकी शादी हो गयी है।
रुचि सोच लेती है कि जब तक ये मुझसे बात नहीं करेगा, मैं भी इससे बात नहीं करूंगी। 5 दिन ऐसे ही बीत जाते हैं दोनों ही एक दूसरे से कुछ भी बात नहीं करते।
अंत में रुचि को ही बात करनी पड़ती है। क्योंकि किशन तो ऐसे बर्ताव कर रहा था जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो। और रोज की तरह ही ऑफिस चला जाता और वापस घर आ जाता।
रुचि किशन से कहती है कि तुम इंसान हो या कोई पत्थर, मैं तुम्हारी पत्नी हूं और तुम मेरे साथ ऐसा बर्ताव करते हो कि जैसे मैं तो इस घर में रहती ही नहीं हूं। तुम्हारे मन में जो है वह तुम मुझे साफ बता दो।
किशन रुचि से कहता है कि अभी मेरे ऑफिस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, इस वजह से मेरा मूड थोड़ा खराब रहता है। तुम ऐसा वैसा कुछ भी मत सोचो।
किशन को भी थोड़ा महसूस होता है कि वह रुचि के साथ गलत कर रहा है। उसे उसके साथ अच्छे से बात करनी चाहिए वह उसकी पत्नी है।
मुझसे बात करने के लिए रुचि इतनी ज्यादा प्रयास करती है। और मैं इसे कोई भाव भी नहीं देता हूं इसे कितना बुरा लगता होगा।
एक दिन ऑफिस से आते ही किशन रुचि से कहता है कि तुम्हें कहीं घूमने जाना हो तो तुम मुझे बता दो मेरे ऑफिस से मैं 5 6 दिन की छुट्टी ले रहा हूं, ताकि मैं तुम्हें कहीं घूमाने ले जा सकूं।
किशन की यह बात सुनकर रुचि बहुत खुश हो जाती है और दोनों मनाली घूमने के लिए चले जाते हैं। वहां जाकर दोनों खूब मजे करते हैं, और रुचि किशन से थैंक्स भी बोलती है। और अपनी पूरी नाराजगी भूल जाती है।
किशन को भी महसूस होता है कि मुझे भी दूसरे लड़कों की तरह रुचि की पसंद का ध्यान रखना चाहिए। यह भी मेरे लिए सारा दिन कुछ ना कुछ करती रहती है, मेरे परिवार का ध्यान रखती है। और मैं इसके साथ इतने दिन तक बात भी नहीं करता था। किशन को उस चीज का बुरा लगता है और वह रुचि को सॉरी बोलता है।
तो रुचि किशन से कहती है की अब हम सब भूल जाते हैं, और एक नई शुरुआत करते हैं। अच्छे पति-पत्नी की तरह रहेंगे जिसमें दोनों ही एक दूसरे की चीजों का अच्छे से ख्याल रखेंगे। अब दोनों अपनी जिंदगी में खुश रहते हैं।
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